चलो बुलावा आया है | माता वैष्णो देवी का दिव्य भजन और अर्थ लिखित में

 चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है,

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।

भक्तों का मेला सज गया, दरबार सजा प्यारा है,

सिंहासन पर बैठी माँ, चाँद-सा चेहरा न्यारा है।

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।


पर्वत पे गूंजे जयकारा, जय माता दी  पुकारा,

हर पत्थर में माँ का चेहरा, हर श्वास में नाम तुम्हारा।

भक्त कदम बढ़ाते जाएं, मन में उमंग समाई है,

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।


रास्ते में धूप भी है, काँटे भी हैं, छाया भी,

माँ की नज़र जो पड़ जाए, मिल जाए माया भी।

भक्तों के मन में विश्वास है, सच्चे प्रेम का वास है,

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।


जो माँ का नाम जपे, वो पाप सभी मिट जाए,

भटके जो राह में, माँ राह सही दिखाए।

माँ की महिमा अपरंपार, सब पे करती उपकार,

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।


भक्त कहें दिल से  जय माँ  आँसू भी मुस्काएंगे,

माँ के चरणों में झुक जाओ, सुख अपने ही पाएंगे।

दरबार में गूंजे स्वर ये, प्रेम का सागर छाया है,

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।


चलो बुलावा आया है – एक भक्ति का आह्वान


भारत की धरती भक्ति और श्रद्धा की भूमि है। यहाँ हर पर्व, हर गीत और हर भजन में एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा होता है। इन्हीं में से एक भजन है। चलो बुलावा आया है  जो वर्षों से भक्तों के हृदय को छूता आ रहा है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भक्ति का बुलावा है, जो हमें अपने जीवन की व्यस्तता से निकालकर माँ वैष्णो देवी के चरणों की ओर बुलाता है।

चलो बुलावा आया है


चलो बुलावा आया है का अर्थ


जब कोई भक्त यह भजन सुनता है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है तो उसके मन में एक अद्भुत ऊर्जा और विश्वास जाग उठता है।


यह पंक्ति केवल शब्द नहीं, बल्कि माँ की पुकार है। भक्त मानता है कि जब यह बुलावा आता है, तो कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकती। चाहे वह कितनी भी दूर क्यों न हो, उसके कदम माँ के दरबार की ओर खुद-ब-खुद बढ़ जाते हैं।


यह भजन इस बात का प्रतीक है कि जब जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, जब रास्ते बंद लगते हैं तब ईश्वरीय शक्ति हमें बुलाती है। यह बुलावा भक्ति का संकेत होता है कि अब आत्मा को फिर से शांति, स्नेह और प्रेम की ओर लौटना है।


भजन की लोकप्रियता और श्रद्धा


चलो बुलावा आया है भजन की गूँज वर्षों से वैष्णो देवी यात्रा में सुनाई देती है। जब भक्त जम्मू के कटरा से माँ के दरबार की चढ़ाई शुरू करते हैं, तो यही भजन उन्हें ऊर्जा देता है।

यह गीत रेडियो, टीवी और मंदिरों में भी अक्सर बजाया जाता है, क्योंकि इसमें वह शक्ति है जो थके हुए मन को जोश और भक्ति से भर देती है।


इस भजन के बोलों में माँ की महिमा, भक्ति की शक्ति और आत्मिक जागरण का सुंदर संगम है। यही कारण है कि यह भजन हर उम्र, हर धर्म और हर समय के लोगों को समान रूप से छूता है।


भक्ति और जीवन का संबंध


चलो बुलावा आया है  केवल देवी माँ की यात्रा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह जीवन के आध्यात्मिक सफर की भी झलक देता है।


कभी-कभी हम अपने जीवन में खो जाते हैं — सफलता, धन या नाम की दौड़ में। तब यह भजन हमें याद दिलाता है कि अंततः हमें उस शक्ति की ओर लौटना है, जिसने हमें जन्म दिया है।


भक्ति का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि यह जीवन को प्रेम, कृतज्ञता और विनम्रता से जीना है। जब हम कहते हैं माता ने बुलाया है  तो यह दरअसल यह स्वीकार करना है कि अब समय आ गया है अपने भीतर की शांति को पहचानने का।


वैष्णो देवी यात्रा और बुलावे का रहस्य


कहते हैं कि माँ वैष्णो देवी के दरबार में तभी पहुँचा जा सकता है, जब माँ खुद बुलाती हैं।


कई भक्त बताते हैं कि अचानक उन्हें माँ के दरबार जाने की इच्छा होती है — बिना किसी योजना या कारण के। यही वह दैवीय बुलावा है, जिसका उल्लेख इस भजन में किया गया है।


जब कोई भक्त माता की गुफा में पहुँचता है और जय माता दी  का उद्घोष करता है, तो उसके आँसू अपने आप बहने लगते हैं।


वह पल जीवन के सबसे पवित्र क्षणों में से एक होता है।

यही अनुभव चलो बुलावा आया है के हर शब्द में समाया हुआ है।


आधुनिक समय में भक्ति की भूमिका


आज के व्यस्त जीवन में, जहाँ हर कोई तनाव और प्रतिस्पर्धा में उलझा हुआ है, वहाँ ऐसे भजन मन को स्थिर करने और सकारात्मक ऊर्जा देने का माध्यम बन गए हैं।


भजन सुनने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि मन में श्रद्धा और विश्वास भी बढ़ता है।


चलो बुलावा आया है सुनते ही मन में एक भाव आता है  कि अब सब कुछ छोड़कर बस माँ के चरणों में जाना है। यह भाव व्यक्ति को अहंकार से मुक्त करता है और ईश्वर से जुड़ने में मदद करता है।


भजन का आध्यात्मिक संदेश


यह भजन सिखाता है कि जब तक हम ईश्वर की ओर नहीं लौटते, तब तक हमारी आत्मा अधूरी रहती है।

माँ वैष्णो देवी केवल एक देवी नहीं, बल्कि आस्था की प्रतिमूर्ति हैं।


उनका बुलावा, हर उस इंसान के लिए है जो जीवन में भटक गया है।


भजन का संदेश स्पष्ट है 

माँ बुला रही है, अब देर मत करो, अपने भीतर के प्रेम और प्रकाश को पहचानो।


निष्कर्ष


चलो बुलावा आया है भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि हमें याद दिलाता है कि जब भी जीवन कठिन लगे, जब भी मन उदास हो, तब ईश्वर का बुलावा अवश्य आता है।

हमें बस उस आवाज़ को सुनना है और भक्ति के मार्ग पर कदम बढ़ाना है।


क्योंकि जब माँ बुलाती हैं, तो रास्ता भी खुद बन जाता है, और मंज़िल भी अपने आप मिल जाती है।


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