gayatri mantra | गायत्री मंत्र हिंदी में

 गायत्री मंत्र .


ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्


Gayatri mantra .


Om bhur bhuvah svah | tat savitur varennyam | bhargo devasya dhimahi | dhiyo yo nah prachodayat


गायत्री मंत्र का अर्थ

gayatri mantra



धर्म गर्न्थो में गायत्री मंत्र की महिमा की गई है। सनातम धर्म मे सभी मन्त्रो के उच्चारण में गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है और सभी मन्त्रो से श्रेस्ट माना गया है।

गायत्री मंत्र को तीनों देवों का ब्रम्हा विश्णु महेश का सार भी माना गया है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में स्पस्ट कहा है मन्त्रो में गायत्री में हुँ।

गायत्री मंत्र में परमात्मा मृत्यु लोक स्वर्ग लोक आकाश सृष्टि पाप ज्ञान ध्यान बुद्धि हम ओर परमात्मा के प्रकाश का जिक्र होता है क्या है गायत्री मंत्र का पूरा अर्थ जाने।

ॐ --------- परब्रम परमात्मा
भू ---------- भूमि लोक अर्थार्त मृत्यु लोक
र्भुवः -------  आकाश अर्थार्त अंतरिक्ष लोक
स्वः -------- स्वर्ग लोक
त ---------- परमात्मा
त्सवितु ----- सृस्टि करने वाला ईश्वर
र्वरेण्यं ----- पूजनीय
भर्गो ------- पाप का निवारण करने वाला
 देवस्य ----- ज्ञान स्वरूप परमात्मा
धीमहि ----- ध्यान करने वाला
धियो ------ बुद्धि
यो -------- जो
नः ------- हम्हे
प्रचोदयात् ----- प्रकाशित करे।

हमको परमात्मा का ध्यान करना चाहिए जिसमे हमे इस संसार मे भेजा है अज्ञान दूर करता है पापो से छुटकारा दिलाता है। परब्रम परमात्मा का ध्यान करने पर हमारे अंदर प्रकाश दिखता है जो ब्रामण्ड बाहर है वो अंदर दिखाई देता है जन्म मरण से छुटकारा मिलता है जैसे सन्तो ने कहा ज्योति जोत समाना परमात्मा की ज्योति में समा जाना।

गायत्री मंत्र क्या है

वेद शास्त्रों में सबसे महत्वपूर्ण मन्त्र है इसका महत्व ओम शब्द के बराबर माना जाता है यह यजुर्वेद के मंत्र और ऋग्वेद के छंद से बना है।

गायत्री मंत्र में सवितृ देव की उपासना होती है इस कारण इसे सावित्री भी कहा जाता है। कहते है अगर कोई अचानक से संकट आ जाये तो इसका उचारण करने से संकट टल जाता है।

ऋग्वेद के सात छन्दों में से एक है 24 मात्रा के योग से बना है यह एक छंद है इन सभी छन्दों के नाम जान लीजिए अनुष्टुप् उष्णिक् बृहती गायत्री विराट जगती ओर त्रिष्टुप्  आठ आठ अक्षरो के गायत्री में तीन चरण होते है।

 ऋग्वेद में सबसे ज्यादा संख्या गायत्री के छन्दों की होती है। गायत्री मंत्र को सबसे महत्व स्थान दिया है वेद शास्त्रो ने भी गायत्री को महान बताया है।

गायत्री मंत्र के लाभ

गायत्री मंत्र के बहुत से लाभ है हवन यज्ञ में भी गायत्री का उच्चारण किया जाता है जब कोई भी मन्त्र का जप करते तो गायत्री का जरूर उच्चारण करते हैं।

गायत्री का नियमित उच्चारण करना चाहिए घर मे सुख शांति रहती है धन की तंगी नही होती नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नही होता और मन संत रहता है।

गायत्री का जप करने से ध्यान एकाग्र होता है चिंताओं से मुक्ति मिलती है भगवान में ध्यान लगाने की सकती बढ़ जाती है स्मरण करने की शक्ति बढ़ जाती है दुश्मन का तेज घट जाता है अपना तेज बढ़ जाता है इसलिए कहते है गायत्री मंत्र का जप हर रोज करना चाहिए।

गायत्री मंत्र हिंदी में

आपने गायत्री मंत्र को हिंदी में पढ़ा और इंग्लिश में भी पढ़ा इसका लाभ के बारे में भी जाना वैसे तो हिन्दू धर्म मे विशेष महत्व है इनको सबसे महान ओर प्रसिद्ध माना गया है कंयोकि इसका उच्चारण हर जगह पर होता है।

जब कोई भी हवन करवाते है तो इसका जप किया जाता है और वैसे भी घर मे हर दिन लोग उच्चारण करते है ताकि घर मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश न हो सुख शांति बनी रहे।

वैसे तो आजकल सोशल मीडिया का जमाना है घर मे स्पीकर पर गायत्री का भजन लगा देते है और इसके साथ साथ बोलते हैं

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