आरती कुंज बिहारी की | Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi
आरती कुंज बिहारी की एक प्रसिद्ध श्रीकृष्ण भक्ति आरती है, जो भक्तों द्वारा वृंदावन और घर-घर में गाई जाती है। इस आरती में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की महिमा का वर्णन है। यहाँ आपको पूरी Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi सहित अर्थ, इतिहास और महत्व की जानकारी दी गई है। इस पोस्ट को पढ़कर आप जानेंगे कि यह आरती क्यों भक्तों के हृदय को शांति और आनंद से भर देती है।
आरती कुंज बिहारी की सम्पूर्ण आरती (Aarti Lyrics in Hindi)
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावे मुरली मन मोहिनी बाला।।
सुनतें ही मुरली का स्वर, नाचत गिरिवर धरनिधर।।
तृभुवन में देखी लला की छवि, हर्षित भयो हृदय हरे हरि की।।
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।
जसुमति के नंदन नंदलाल, लाला ललित त्रिभुवन विख्यात।।
राधा संग झूले बनमाली, गिरिराज धरन वाले नंदलाल।।
भक्ति भाव से जो गावे, कृष्णचरण सुख पावे।।
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।
Aarti Kunj Bihari Ki in English
Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Giridhar Krishna Murari Ki,
Gale Mein Vaijayanti Mala, Bajave Murali Man Mohini Bala,
Sunate Hi Murali Ka Swar, Nachata Girivar Dharanidhar,
Tribhuvan Mein Dekhi Lala Ki Chhavi, Harshit Bhayo Hriday Hare Hari Ki,
Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Giridhar Krishna Murari Ki.
आरती कुंज बिहारी की आरती का परिचय
आरती कुंज बिहारी की भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को समर्पित एक दिव्य आरती है, जिसे विशेष रूप से वृंदावन, मथुरा और गोवर्धन में बड़े भक्ति भाव से गाया जाता है।
यह आरती आमतौर पर शाम की आरती में गाई जाती है, जब मंदिरों में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं और मुरलीधारी कृष्ण की झांकी सजाई जाती है।
इस आरती में श्रीकृष्ण की मोहक छवि मुरली, मोरपंख, पीताम्बर और राधा के प्रति उनका प्रेम सबका भावपूर्ण वर्णन है।
आरती का अर्थ (Meaning of Aarti Kunj Bihari Ki)
यह आरती भगवान श्रीकृष्ण की सुंदरता, प्रेम और उनकी करुणा का प्रतीक है।
कुंज बिहारी का अर्थ है वृंदावन के कुंजों (वनों) में विहार करने वाले कृष्ण।
गिरिधर वह हैं जिन्होंने गोवर्धन पर्वत उठाकर भक्तों की रक्षा की।
इस आरती के हर शब्द में भक्ति, आनंद और ईश्वर से जुड़ाव का भाव है।
जब भक्त इस आरती को गाते हैं, तो उनका मन श्रीकृष्ण की लीलाओं में रम जाता है और आत्मा को गहन शांति मिलती है।
आरती कुंज बिहारी की का इतिहास और महत्व
यह आरती वृंदावन के रसखान परंपरा से जुड़ी मानी जाती है।
कहा जाता है कि जब भक्तजन मुरली की ध्वनि सुनते थे, तो पूरे वातावरण में आनंद छा जाता था उसी भावना को शब्दों में पिरोकर यह आरती बनी।
महत्व:
यह आरती राधा-कृष्ण के प्रेम और लीला की अभिव्यक्ति है।
इसे गाने से मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मंदिरों, आश्रमों और घरों में इसका पाठ रोज़ाना संध्या को किया
जाता है।
कब और कैसे करें आरती कुंज बिहारी की पाठ
1. साफ और शांत स्थान पर श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएँ।
2. फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
3. मुरली या घंटी बजाते हुए भक्ति भाव से आरती गाएँ।
4. आरती के बाद प्रसाद बाँटें और “राधे कृष्ण” नाम का जप करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
FAQ – आरती कुंज बिहारी की से जुड़े प्रश्न
Q1: आरती कुंज बिहारी की किस देवता की है?
यह आरती भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की है, जिन्हें कुंज बिहारी कहा गया है।
Q2: आरती कुंज बिहारी की कब गाई जाती है?
सामान्यतः शाम को मंदिरों में आरती के समय, दीप प्रज्वलन के बाद।
Q3: इस आरती का क्या लाभ है?
यह आरती मन को शांति देती है, तनाव दूर करती है, और जीवन में आनंद और भक्ति का भाव बढ़ाती है।
Q4: क्या यह आरती घर पर की जा सकती है?
हाँ, सुबह या शाम किसी भी समय भक्ति भाव से इसे
गाया जा सकता है।
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